Class 10 science Chapter 3 धातु एवं अधातु Notes in hindi  Chapter = 3   धातु एवं अधातु  वर्तमान में  118 तत्व  ज्ञात हैं । इनमें  90 से अधिक धातुऐं  ,  22 अधातुऐं और कुछ उपधातु  हैं ।  धातु :-  पदार्थ जो कठोर , चमकीले , आघातवर्ध्य , तन्य , ध्वानिक और ऊष्मा तथा विद्युत के सुचालक होते हैं , धातु कहलाते हैं ।  जैसे :-  सोडियम ( Na ) , पोटाशियम ( K ) , मैग्नीशियम ( Mg ) , लोहा ( Fc ) , एलूमिनियम ( AI ) , कैल्शियम ( Ca ) , बेरियम ( Ba ) धातुऐं हैं ।  धातुओं के उपयोग :-   धातुओं का उपयोग इमारत , पुल , रेल पटरी को बनाने में , हवाईजहाज , समुद्री जहाज , गाड़ियों के निर्माण में , घर में उपयोग होने वाले बर्तन , आभूषण , मशीन के पुर्जे आदि के निर्माण में किया जाता है ।  अधातु :- जो पदार्थ नरम , मलिन , भंगुर , ऊष्मा तथा विद्युत के कुचालक होते हैं , एवं जो ध्वानिक नहीं होते हैं अधातु कहलाते हैं ।  जैसे :-  ऑक्सजीन ( O ) , हाइड्रोजन ( H ) , नाइट्रोजन ( N ) , सल्फर ( S ) , फास्फोरस ( P ) , फ्लूओरीन...
📚 अध्याय - 2 📚
👉दो ध्रुवीयता का अंत 👈
बर्लिन की दीवार :
पूर्वी और पश्चिमी खेमे के बीच विभाजन प्रतीक थी, यूरोप महाद्वीप में जर्मनी देश की राजधानी बर्लिन शीतयुद्ध के प्रतीक 1961 में बनी बर्लिन की दीवार को 9 नवंबर 1989 को जनता द्वारा तोड़ दिया गया | यह 28 वर्ष तक खड़ी रही तथा यह 150 km लम्बी थी |
★ सोवियत संघ ( USSR )
- 1917 की रुसी क्रांति क्र बाद समाजवादी सोवियत गणराज्य अस्तित्व में आया
- सोवियत संघ में कुल मिलकर 15 गणराज्य थे अर्थात 15 अलग - देशो को मिलकर सोवियत संघ का निर्माण किया गया था |
- सोवियत संघ का निर्माण गरीबो के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया इससे समाजवाद और साम्यवादी विचारधारा के अनुसार बनाया गया |
- रूस
- यूक्रेन
- जॉर्जिया
- बेलारूस
- उज्बेकिस्तान
- आर्मेनिया
- अजरबैजान
- कजाकिस्तान
- कीर्तिस्तं
- मालदोवा
- तुर्कमेनिस्तान
- लातविया
- लिथुनिया
- तजाकिस्तान
- एस्तोनिया
★ सोवियत प्रणाली :-
- सोवियत संघ में समतावादी समाज के निर्माण के लिए केंद्रीकृत योजना , राज्य के नियंत्रण पर आधारित और साम्यवादी दल द्वारा निर्देशित व्यवस्था सोवियत प्रणाली कहलाएगी |
- दूसरे शब्दों में सोवियत प्रणाली वह व्यवस्था है जिसके द्वारा सोवियत संघ ने अपना विकास किया |
★ सोवियत प्रणाली की विशेषताएँ :
- सोवियत प्रणाली पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध तथा समाजवाद के आदर्शो से प्रेरित थी |
- सोवियत प्रणाली में नियोजित अर्थव्यवस्था थी |
- कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा था
- न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधा बेरोजगारी न होना
- उन्नत संचार प्रणाली
- मिल्कियत का प्रमुख रूप राज्य का स्वामित्व्
- उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण
✷ दूसरी दुनिया के देश 
पूर्वी  यूरोप के देशों को समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया था, इन्हे ही समाजवादी खेमे के  देश या दूसरी दुनिया कहा गया | 
✦मिखाइल गोर्बाचेव 
1980 के दशक में मिखाइल गोर्बाचेव ने राजनितिक सुधारों तथा लोकतंत्रीकरण को अपनाया उन्होंने पुनर्रचना ( पेरेस्त्रोइका ) व खुलापन ( ग्लासनोस्त ) के नाम से आर्थिक सुधार लागू किया | 
✦सोवियत संघ समाप्ति की घोषणा 
1991 में बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में पूर्वी यूरोप के देशों ने तथा रूस , यूक्रेन , बेलारूस , ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की | CIS ( स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रकुल ) बना 15 नए देशों का उदय हुआ | 
✶सोवियत संघ में कम्युनिस्ट शासन की कमियाँ 
 सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया औपार्टी अब जनता के जवाबदेह नहीं रह गयी थीं 
 इसकी निम्नलिखित कमियाँ थीं :
- कम्युनिस्ट शासन में सोवियत संघ प्रशासनिक और राजनितिक रूप से गतिरुद्ध हो चुका था
- भारी भ्रष्टाचार व्याप्त था और गलतियों को सुधारने में शासन व्यवस्था अशक्षम थीं
- विशाल देश में केंद्रीकृत शासन प्रणाली थी
- सत्ता का जनाधार खिसकता जा रहा था
- पार्टी के अधिकारियों को आम नागरिक से ज्यादा विशेषाधिकार मिले हुए थे |
✯ सोवियत संघ के विघटन के कारण :
- नागरिकों की राजनितिक और आर्थिक आकांशाओ को पूरा न कर पाना
- सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा
- कम्युनिस्ट पार्टी का बुरा शासन
- लोगो को गलत जानकारी देना की सोवियत संघ विकाश कर रहा था
- संसाधनों का अधिकतम उपयोग परमाणु हथियारों पर करना
- गोर्बाचेव द्वारा किये गए सुधारों का विरोध होना
- सोवियत प्रणाली का सत्तावादी होना
✦ सोवियत संघ के विघटन के परिणाम :
- शीतयुद्ध का संघर्ष समाप्त हो गया
- दूसरी दुनिया का पतन
- अमेरिकी वर्चस्व का उदय
- हथियारों की होड़ की समाप्ति
- 15 नए देशों का उदय
- रूस सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना
- शॉक थेरेपी को अपनाया गया|
शॉक थेरेपी :-
शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ - आघात पहुंचाकर उपचार करना | 
साम्यवाद के पतन के बाद  सोवियत संघ के गणराज्यों को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण ( परिवर्तन ) के मॉडल को अपनाने को कहा गया, इसे ही शॉक थेरेपी कहा गया | 
शॉक थेरेपी की विशेषताएँ :
- राज्य की सम्पदा का निजीकरण
- सामूहिक फॉर्म को निजी फॉर्म में बदल दिया गया
- पूंजीवादी पद्धति से खेती की जाने लगी
- मुक्त व्यापार व्यवस्था को अपनाया
- मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता
- पश्चिमी देशों की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव
शॉक थेरेपी के परिणाम :
- रूस का औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया
- रुसी मुद्रा रूबल में गिरावट
- समाज कल्याण की पुरानी व्यवस्था नष्ट
- 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों को कम दामों में बेचा गया
- आर्थिक विषमता बढ़ी
- खाद्यान संकट हो गया
गराज सेल :
- शॉक थेरेपी से उन पूर्वी एशियाई देशों की अर्थव्यवथा चरमरा गई जिनमें पहले साम्यवादी शासन थी
- रूस में पूरा का पूरा राज्य - नियंत्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया | लगभग 90 प्रतिशत उद्योग को निजी हाथों या कंपनियों को बेचा गया
- आर्थिक ढांचे का यह पुनर्निर्माण चूँकि सरकार द्वारा निर्देशित औद्योगिक निति के बजाय की ताकतें कर रही थी ,इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को मटियामेट करने वाला साबित हुआ | इसे "इसिहास की सबसे बड़ी गराज सेल " के नाम से जाना जाता हैं |
अरब स्प्रिंग 
- 21वी शताब्दी में पश्चिम एशियाई देशों में लोकतंत्र के लिए विरोध प्रदर्शन और जन आंदोलन शुरू हुआ |
- ऐसे ही एक आंदोलन को अरब स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है
- इसकी शुरुआत ट्यूनीशिया में 2010 में मोहम्मद बाउजीजी के आत्मदेह के साथ हुई |
विरोध प्रदर्शन के तरीके -
- हड़ताल
- धरना मानवाधिकार
- मार्च
- रैली
विरोध का कारण 
- जनता का असंतोष
- गरीबी
- तानाशाही
- मानव अधिकार उल्लंघन
- भ्रष्टाचार
- बेरोजगार
बाल्कन क्षेत्र :
बाल्कन गणराज्य युगोस्लाविया गृहयुद्ध के कारण कई प्रांतो में बट गया जिसमे शामिल बोस्निया- हर्जेगोविना , स्लोवेनिया तथा क्रोएशिया ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया | 
बाल्टिक क्षेत्र :
बाल्टिक क्षेत्र के लिथुआनिया ने मार्च 1990 में अपने आप को स्वतंत्र घोषित किया | एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया 1991 में सयुंक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य बने | 2004 में नाटो में शामिल हुए | 
मध्य एशिया :
मध्य एशिया के तजाकिस्तान में 10 वर्षो तक यानि 2001 तक गृहयुद्ध चला | अज़रबैजान, अर्मेनिया, यूक्रेन, किरगिस्तान, जॉर्जिया में भी गृहयुद्ध की स्तिथि है | मध्य एशियाई गणराज्यों में पेट्रोल के विशाल भंडार है | इसी  कारण से यह क्षेत्र बाहरी ताकतों और तेल कंपनियों की प्रतिस्प्रधा का अखाडा भी बन गया है | 
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